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अपराधियों को नायक बनाने की खतरनाक प्रवृत्ति

  • अवधेश कुमार
    मुख्तार अंसारी के घर नेताओं के जाने का सिलसिला जारी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के घर जाकर उसे महान और मसीहा साबित करने की उसे कोशिश को आगे बढ़ाया जो उसकी मौत के समय से ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि जनता ने जेल में रहते हुए मुख्तार को पांच बार विधायक बनाया तो इसका मतलब है कि वह जनता के दुख दर्द में शामिल रहे और उसी का परिणाम है की जनाजे में इतनी अधिक भीड़ उमड़ी । उन्होंने बांदा जेल में मुख्तार की मृत्यु पर सरकार को घेरा तथा उसकी तुलना रूस में विपक्ष के नेता एलेक्सी नवलनी की जेल में हुई मृत्यु से कर दी। उसकी मौत को राजनीतिक दलों, कुछ नेताओं, संगठनों आदि के द्वारा विवादास्पद बनाया जा चुका है। जेल में किसी भी कैदी की मृत्यु हो कानून के अनुसार उसकी न्यायिक दंडाधिकारी से जांच आवश्यक है। यह अंसारी के मामले में भी है और जांच रिपोर्ट आनी बाकी है। बांदा मेडिकल कॉलेज ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया है। बांदा जेल से भी समाचार यही था कि मुख्तार अंसारी को हार्ट अटैक आया और उसे अस्पताल ले जाया गया। मुख्तार अंसारी ,पिछले लंबे समय से जब भी वीडियो में आया काफी कमजोर दिखता था। ह्वील चेयर पर ही उसके बाहर निकलने या अंदर जाने की तस्वीरें आईं थीं। उसकी मेडिकल रिपोर्ट में अनेक बीमारियां लिखी हुई है। इतनी बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति की कभी भी किसी कारण से मृत्यु हो सकती है। स्वयं को बाहुबल और धनबल की बदौलत बादशाहत कायम करने की मानसिकता में जीने वाले व्यक्ति को जेल में आम अपराधी की तरह व्यवहार से मानसिक आघात लगना बिलकुल स्वाभाविक है। मानसिक तनाव, दबाव, हताशा मनुष्य को अनेक बीमारियों से ग्रस्त करती है। योगी आदित्यनाथ सरकार के कारण बांदा जेल में वह आम सजा प्राप्त कैदी की तरह ही था। हमारे देश के कुछ बुद्धिजीवी, संगठन, नेता, राजनीतिक पार्टियों आदि के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का कोई मायने ही नहीं है। प्रचारित यह किया जा रहा है कि उसे मारा गया है। जिस तरह कुछ दिनों से उसके परिवार और वकील यह खबर फैला रहे थे कि उनको धीमा जहर दिया जा रहा है वह रणनीति का अंग था। ऐसा लगता था जैसे उसे जमानत देने या मन मुताबिक किसी जेल में शिफ्ट करने का आधार बनाया जा रहा था। मृत्यु से कुछ दिनों पहले अपने बेटे से बातचीत का उसका ऑडियो वायरल हुआ है जिसमें उसके काफी कमजोर होने का आभास मिल रहा था। वह कह रहा था कि काफी दिनों से उसे मोशन नहीं हुआ और यह भी कि शरीर चला जाएगा लेकिन रुह रहेगा। अंसारी का बेटा उसे दिलासा देते हुए कहता है कि पापा आपका शरीर रहेगा और आप‌‌ हज भी करेंगे। हम अदालत से गुहार कर रहे हैं और अनुमति मिलते ही आपसे मिलने आएंगे। उसके काफी अस्वस्थ व कमजोर होने के साथ गहरी निराशा में डूबे होने का पता भी ऑडियो से चलता है। सपा, बसपा ,अन्य पार्टियों ,मजहबी नेताओं आदि ने जिस ढंग का माहौल बनाया है उसने फिर देश के आम व्यक्ति को उद्वेलित किया है। जितनी संख्या में उसके नमाज ए जनाजा में लोग शामिल हुए वह किसी भी समाज के सामान्य अवस्था का द्योतक नहीं है। हमारे देश में कानून सबके लिए बराबर है और सजा देने का काम न्यायालय का ही है। जेल नियम के अनुसार किसी भी कैदी की हर प्रकार से देखभाल कानूनी तौर पर अपरिहार्य है। ऐसा कोई कारण नहीं दिखता जिससे प्रशासन या जेल या सरकार उसे तत्काल अवैध तरीके से मारने का कदम उठाए। इस समय उसकी मृत्यु से किसी को कुछ भी प्राप्त नहीं होने वाला था। ठीक इसके उलट लगातार उसे सजा मिल रही थी और अंतिम समय तक वह जेल में छटपटाते रहता तो इसका संदेश अन्य माफियाओं, बाहुबलियों, अपराधियों के बीच जाता कि ऐसे लोगों के साथ यही होना है। योगी आदित्यनाथ सरकार की दृष्टि से यह स्थिति ज्यादा अनुकूल थी। मृत्यु के बाद उसे गरीबों का मसीहा और नायक बनाया गया वह वाकई भय पैदा करता है। मुख्तार अंसारी न्यायालय द्वारा सिद्ध माफिया, हत्यारा, अपहरणकर्ता , सांप्रदायिक दंगा करने वाला बाहुबली था। 65 से ज्यादा मुकदमे उसके नाम पर थे जिनमें से आठ में उसे सजा दी जा चुकी थी। इनमें दो में उम्र कैद की सजा थी। यानी न्यायालय ने उसे अंतिम सांस तक जेल में रखने की सजा दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की केंद्र या फिर राज्यों में सरकार गठित होने के पीछे हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, विकास, जन कल्याण के साथ अपराध और भय मुक्त माहौल की उम्मीद भी बहुत बड़ा कारण रहा है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 2022 में भाजपा सरकार की वापसी का सबसे बड़ा कारण यही था कि अपराधी और माफिया के विरुद्ध कार्रवाई हुई है। अपराधियों ने न जाने कितने परिवार नष्ट किये, कितनों का जीवन बर्बाद किया और कहां-कहां, कौन-कौन इनसे प्रतिशोध लेने की फिराक में हो कोई नहीं जानता। इनमें से कोई अगर जेल में या जेल के बाहर उनकी हत्या कर दे, हमले कर दे तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। प्रशासन उनकी रक्षा करे यह आवश्यक है किंतु इनके पाप और अपराध इनका पीछा छोड़ देंगे यह संभव नहीं। ऐसे लोग समाज के हीरो नहीं खलनायक हैं। खलनायक को नायक बनाने की सांप्रदायिक और विभाजनकारी प्रवृत्ति के व्रत कर खड़ा होने की आवश्यकता है। ‌

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