- डॉ. प्रितम भि. गेडाम
देश में ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब भ्रष्टाचार की गंभीर घटनाओं की खबरें देखने पढ़ने सुनने को मिलती नहीं हो। हर क्षेत्र हर विभाग में कार्यरत अनेक कर्मचारी को भी पता होता है कि अनुचित कार्य पद्धति कहा पनपती है। अधिकतर जनता तो भ्रष्टाचार के बारे में सब कुछ जानकर भी मूकदर्शक की भूमिका निभाती है। अनेक विभागों में खुलेआम भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा हर काम का तय रेट बताकर नियमों का अमलीजामा पहनाया जाता है। हमारे यहाँ हर समस्या का जुगाड़ निकाला जाता है, रिश्वतखोरी के लिए भी नए-नए पैतरे आजमाए जाते है। भ्रष्टाचार देश में इस कदर फैल चुका है कि आनेवाली कई पीढ़ियों तक को इसकी गंभीर सजा भुगतनी पड़ेगी। किसी सार्वजनिक संवेदनशील फाइल पर एक भ्रष्ट अधिकारी की अनुचित अनुमति अनेक मासूमों के जिंदगी को मौत का फरमान सुना सकती है और अक्सर भ्रष्टाचार की बलि चढ़नेवाले अनेक भयावह दुखद हादसे देखने को मिलते है। बड़ी संख्या में सरकारी क्षेत्र के साथ ही निजी क्षेत्र में भी सिफारिस और राजनितिक दबाव देखा जाता है। उदाहरण के लिए काल्पनिक तौर पर मान लो कि महाराष्ट्र राज्य के किसी सरकारी अनुदानित महाविद्यालय में अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद के लिए कोई उमेदवार 50-55 लाख रुपये देकर किसी ईमानदार और काबिल उम्मीदवार का हक छीन कर खुद के लिए नौकरी पाता है, तो वह भ्रष्ट प्रोफेसर अपने पद पर आसीन होकर शिक्षक जैसे पवित्र पद से, अपने पेशे से कैसे न्याय कर पायेगा, समाज में कैसे आदर्श स्थापित करेगा और कैसे देश की सुसंस्कृत, काबिल विद्यार्थियों व सुजान नागरिकों की नयी पीढ़ी का शिल्पकार कहलायेगा? जिंदगी भर के लिए ऐसे शिक्षक आने वाली कई पीढ़ियों को बर्बाद करने का जिम्मेदार कहलाएंगे। जब ऐसे शिक्षक द्वारा शिक्षित पीढ़ी समाज के विविध क्षेत्रों में कार्यरत होगी तब तो उसका दुष्परिणाम हर ओर नजर आएगा। जब एक पीढ़ी बर्बाद होती है तब पुरे देश, पुरे समाज को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। अनेक दशक तक गुजर जाते है उच्च शिक्षित योग्य ईमानदार उम्मीदवार द्वारा नौकरी के लिए संघर्ष करते करते, इनकी जिंदगी की मेहनत तो भ्रष्टाचार की भेट चढ़ जाती है। यह तो सिर्फ एक क्षेत्र अंतर्गत एक विभाग की बात हुयी, अगर देश के हर क्षेत्र का यही हाल हो तो देश की हालत कितने बुरे दौर से गुजरेगी। भ्रष्टाचार से जिसका फायदा है वह खुश होता है, चाहे उसके वजह से कितनो को ही नुकसान हो जाये। हर तरफ समस्याओं का अंबार लग जाता है, अपराध वृद्धि, संस्कारहीन दुर्व्यवहार, आर्थिक असमानता, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी सब भ्रष्ट प्रणाली की ही देन होती है। यह भ्रष्टाचार मासूम से उसकी मासूमियत, युवाओं से उम्मीद, उनके भावी सपने और जिम्मेदारों से उनका आधार छीनता है। भ्रष्टाचार किसी की नौकरी छीनता है, तो किसी की पढ़ाई, किसी के आजीविका का साधन छीनता है तो किसी की मेहनत, किसी की दौलत तो किसी का न्याय तो किसी की तो अमूल्य जिंदगी ही छीनता है यह भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार हमारे भरोसे को खत्म करता है। करों व दरों को भी बर्बाद करता है जो समाज के महत्वपूर्ण सर्वांगीण विकास के लिए निर्धारित किए गए है। सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में भ्रष्टाचार की समस्या अधिक होती है एवं भारत देश उनमें से एक है।
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