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- भारत डोगरा
दुनिया और देश दोनों स्तर पर दुर्घटनाएं लोगों के दुख-दर्द का एक बहुत बड़ा कारण हैं, फिर चाहे यह सड़क दुर्घटनाएं हों, अग्निकांड हों या अन्य दुर्घटनाएं। दूसरी ओर अनेक अध्ययन यह भी बता रहे हैं कि यदि सही नियोजन व पूरी प्रतिबद्धता से प्रयास किए जाएं तो दुर्घटनाओं की संख्या को काफी तेजी से कम किया जा सकता है।
हाल ही में प्रकाशित एक पुस्तक ‘वाय एक्सीडेंट्स आर रेयरली एक्सीडेंटल’ ने अधिकांश लोगों के जीवन के इस अनुभव को अनेक तथ्यों और प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक का शीर्षक ही बहुत कुछ कह जाता है- कम ‘दुर्घटनाएं’ ही दुर्घटनावश होती हैं। यानी जिसे हम किस्मत का खेल मान बैठे हैं उन दुर्घटनाओं में से अधिकांश पर वास्तव में मनुष्य का नियंत्रण होता है और हम समय रहते कार्यवाही करें तो बहुमूल्य मानव जीवन व संपत्ति की क्षति रोकी जा सकती है। इस पुस्तक के लेखकों मार्क गरस्टीन व माइकेल एल्सबर्ग का कहना है कि बेहतर नियोजन, मेहनत व जोखिम के प्रति चौकन्ने बने रहने से दुर्घटनाओं व उनके दुष्परिणामों को बहुत कम किया जा सकता है। इस पुस्तक में दिए गए अनेक उदाहरणों का आकलन भी यही बताता है कि जहां आरंभिक चेतावनियों पर ध्यान न देकर सुरक्षा को ताक पर रखा गया वहां गंभीर दुर्घटनाएं हुईं जबकि जहां आरंभ में सुरक्षा पर ध्यान दिया गया वहां ‘दुर्घटनाओं’ को टाला जा सका।
दुख-दर्द कम करने का एक बड़ा जरिया है दुर्घटनाओं की संभावनाओं को कम करना। इसके साथ दुर्घटना हो जाने पर जीवन रक्षा की संभावना को मजबूत करना भी जरूरी है। इन दो उपायों से प्रतिवर्ष लाखों जीवन बचाए जा सकते हैं और इससे कहीं अधिक लोगों को बहुत कष्टदायक रूप से घायल होने, दीर्घकालीन शारीरिक-मानसिक क्षति तथा अपंगता से बचाया जा सकता है।
दुर्घटनाओं संबंधी समग्र जानकारी अभी किसी एक स्थान पर उपलब्ध तक नहीं है। सबसे अधिक चर्चा में सड़क दुर्घटनाएं हैं। इसके अतिरिक्त यातायात की दुर्घटनाएं लें तो रेल दुर्घटनाएं, नाव दुर्घटनाएं व वायुयान दुर्घटनाएं हैं। अंतिम श्रेणी को छोड़ दें तो शेष सभी दुर्घटनाओं के उपलब्ध आंकड़े वास्तविकता से कम हैं। पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों की रक्षा पर विशेष ध्यान दें क्योंकि दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें इन्हीं की होती हैं।