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- डॉ. प्रितम भि. गेडाम
आज के आधुनिक युग में हम कहने को उन्नत हो रहे है, लेकिन संस्कार, जिम्मेदारी, आदरभाव, अपनापन, प्रेम, करुणा, दया भाव, नैतिकता जैसे शब्दों का कोई मोल नज़र नहीं आता। समाज में लगातार अराजकता फ़ैल रही है जिससे, सामाजिक समस्याएँ और अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके प्रमुख कारणों में से एक नशाख़ोरी है। एक समय था जब हम हशीश, गांजा, कोकीन जैसे खतरनाक नशीले जहर के बारे में केवल सुनते थे और फिल्मों में देखते थे, लेकिन अब ये नशा हमारे अपने लोगों तक भी पहुंच गया है और स्कूल-कॉलेज जाने वाले किशोर इस नशे के आदी होकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। हर दिन मादक पदार्थो की तस्करी की खबरें पढ़ने-सुनने को मिलती है, युवावर्ग तेजी से नशे के प्रति आकर्षित हो रहा है। हुक्का बार, पब, पार्टी का चलन खूब बढ़ रहा है। इस समस्या में सबसे बड़ी ग़लती अभिभावको की नजर आती है, जो आज की युवापीढ़ी को योग्य संस्कार और बेहतर परवरिश देने में नाकाम हो रही है। अक्सर सड़क किनारे, फुटपाथ पर, निर्जन स्थलों पर, खंडहरनुमा मकानों या गलिच्छ बस्तियों में बच्चें से लेकर बड़े तक नशा करते हुए दिखते है। छोटे-छोटे बच्चे भी घातक रसायन, पेट्रोल, सैनिटाइजर, व्हाइटनर, खांसी की दवा, दर्द निवारक, गोंद, पेंट, गैसोलीन सुंघकर नशा करते है, बहुत बार, अभिभावक बच्चों की ऐसी हरकतों को देखकर भी नजरअंदाज कर देते है, जो कि घातक है। देश में 10-17 वर्ष की आयु के लगभग 15.8 मिलियन बच्चे मादक पदार्थों के आदी हैं। वैश्विक मादक पदार्थों की तस्करी का कारोबार 650 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो कुल अवैध अर्थव्यवस्था का 30 प्रतिशत है। हर साल शराब ही दुनिया भर में 2.3 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार है।
बचपन से महंगे शौक, जिद, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड का चलन, आधुनिकता की जगमगाहट, झूठा दिखावा और फिल्मों, सोशल मीडिया का बच्चों के दिमाग पर बुरे असर ने नशे के प्रति किशोरों के आकर्षण को तीव्र कर जीवन में जहर घोल दिया है। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर में एक करोड़पति बिल्डर के नाबालिग नशेड़ी लड़के ने अपनी पोर्श कार से दो अभियांत्रिकी युवाओं को कुचल दिया था, फिर भी बड़े रसूखवाले इस बिल्डर पिता ने अपने अपराधी लड़के को बचाने के लिए भरसक प्रयास किये, चार महीने पहले महाराष्ट्र के नागपुर में बड़े उद्योगपति संभ्रांत परिवार की बहू ने नशे की हालत में अपनी कार से आधी रात में दो युवा इंजीनियरों को मौत के घाट उतार दिया, अब फिर नागपुर में रात में इंजीनियरिंग के छात्र ने शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए फुटपाथ पर सो रहे 9 लोगों को कुचल दिया। आजकल के अभिभावक ही अपने जिम्मेदारियों को समझ नही रहे है, रोज नशे से संबंधित अपराधों की ख़बरें पढ़ने-सुनने को मिलती है, कोई युवा नशे के लिए अपने अभिभावकों को मौत के घाट उतार देते है, तो कोई बच्चे नशे की हालत में क्राइम कर रहे है।