- आलोक मेहता
विदेशी मीडिया भारत की नकारात्मक छवि को उभारता है और विशेष रूप से यहां की उपलब्धियों को कम दिखाता है। एनडीए सरकार के पिछले करीब साढ़े साल के कार्यकाल में इसमें और इजाफा हुआ है। देश विरोधी तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुछ भारतीय पत्रकारों ने भी अपने निहित स्वार्थों के लिए मौजूदा सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रचार को और बढ़ाने का काम किया है। पिछले दिनों विवादों में उलझी बी बी सी द्वारा भारत के बाहर दिखाई गई डॉक्यूमेंटरी इसका ताजा प्रमाण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करने के लिए बीस साल पहले गुजरात की घटना पर एक पूर्वाग्रही ब्रिटिश रिपोर्ट को आधार बनाकर यह फिल्म बनाई गई है। निश्चित रुप से इसमें ब्रिटेन में सक्रिय पाकिस्तानी और आतंकवादी संगठनों तथा भारत में इनसे जुड़े शरारती भारत विरोधी लोग शामिल हैं। इस कार्यक्रम को चलाने के लिए विषय, समय और कारण पर ध्यान देने की जरुरत है। विषय भारत में मुसलमानों के लिए गंभीर संकट और भयंकर भेदभाव, कटुता एवं हिंसक भावना को दिखाकर समाज में उत्तेजना टकराव पैदा करने वाला है। देश के नौ राज्यों में इस वर्ष और अगले वर्ष लोक सभा चुनाव की तैयारियां शुरु हो रही हैं। वहीं मोदी सरकार के स्थायित्व के साथ तेजी से आर्थिक प्रगति और जी -20 देशों के समूह में भारत के नेतृत्व से भारत विरोधी विदेशी शक्तियां बहुत विचलित हैं। इसी लॉबी ने बीबीसी को सामने रखकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करवाया है |
भारत ही नहीं ब्रिटेन में भी इस डॉक्यूमेंटरी पर विरोध जताया गया है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋ षि सुनक ने भारतीय पीएम मोदी के समर्थन में बोलते हुए अपनी संसद में कहा कि वो इस डॉक्यूमेंट्री में उनके कैरेक्टरराइजेशन से सहमत नहीं हैं । सुनक ने कहा कि ‘इस मामले पर यूके सरकार की स्थिति स्पष्ट है, जो स्टैंड लंबे समय से है वह बदला नहीं है। निश्चित रूप से हम उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं, चाहे यह कहीं भी हो, लेकिन मैं उस चरित्र-चित्रण से बिल्कुल सहमत नहीं हूं, जो नरेंद्र मोदी को लेकर सामने रखा गया है।’ ब्रिटेन में बसे भारतवंशियों ने भी इस फिल्म पर काफी नाराजगी जताई और फिर डॉक्यूमेंट्री को चुनिंदा प्लेटफार्मों से हटा दिया गया। भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों ने इस डॉक्यूमेंट्री की निंदा की तो वहीं, ब्रिटेन के मूल नागरिक लॉर्ड रामी रेंजर ने कहा कि बीबीसी के कारण एक अरब से अधिक भारतीयों की भावना को ठेस पहुंची है |बीबीसी रिपोर्टिंग की निंदा करते हुए रामी रेंजर ने एक ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने लिखा कि बीबीसी न्यूज आपने एक अरब से अधिक भारतीयों को बहुत दुख पहुंचाया है| ये लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय पुलिस और न्यायपालिका का अपमान है |हम दंगों और जानमाल के नुकसान की निंदा करते हैं और साथ ही आपकी पक्षपात वाली रिपोर्टिंग की भी निंदा करते हैं|
इस डॉक्यूमेंटरी के जरिये मोदी राज में मुस्लिमों की स्थिति खराब होने और उनके बहुत असुरक्षित होने की बातों को रेखांकित किया गया है । इस तरह की विरोधी सामग्री कुछ भारतीयों के माध्यम से ही ली गई होंगी। सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने और सांप्रदायिक तनाव के लिए निश्चित रुप से कुछ कट्टरपंथी संगठनों की भूमिका रही है | भाजपा सहित कुछ दलों के नेता भी समय समय पर उत्तेजक भ्रामक वक्तव्य दे देते हैं | लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ सबका विकास’ के मूलमंत्र को हर मंच पर जोर देते हैं। मुस्लिम समुदाय को लेकर भी उन्होंने अपने विचार सहयोगियों को बताए हैं । हाल ही में हुई भारतीय जनता पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को सलाह दी कि वे मुस्लिम समाज के बारे में गलत बयानबाजी न करें। इसके साथ ही उन्होंने नेताओं से कहा कि वे कार्यकर्ताओं से संवाद बनाकर रखें। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “पार्टी के सभी नेताओं को मुस्लिम समाज के पसमांदा और बोरा समाज से मिलना चाहिए। कार्यकर्ताओं के साथ संवाद बनाकर रखना होगा। समाज के सभी वर्गों से मुलाकात करें, चाहे वे वोट दें या ना दें, लेकिन उनसे मुलाकात जरूर करें। भाषा मर्यादित रखें।”
यह पहला अवसर नहीं है , जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम समुदाय से जुड़ने पर जोर दिया | इससे पहले हैदराबाद में हुई पार्टी कार्यकारिणी में भी उन्होंने इस बात को महत्व दिया था | असल में सत्ता में आने पर भी वह मुस्लिम नेताओं से मिलकर बातचीत करते रहे हैं | यदि तथ्य देखें तो जून 2015 में मोदीजी ने मुस्लिम समुदाय के करीब 30 नेताओं से मिलकर मुस्लिम समुदाय के हितों विस्तार से चर्चा की | बातचीत के दौरान मोदीजी ने यह तक कहा, ‘अगर आपको रात 12 बजे भी मेरी जरूरत पड़ती है तो मैं आपके लिए उपलब्ध हूं।’ पीएम ने कहा कि ‘मैं किसी धर्म विशेष का नहीं, बल्कि 125 करोड़ हिन्दुस्तानियों का प्रधानमंत्री हूं। मेरे पर हर एक हिन्दुस्तानी का एक समान हक है।’ प्रतिनिधिमंडल के एक अन्यक सदस्या, कौमी मजलिस ए शूरा के डॉ ख्वाजा इफ्तेखार अहमद ने पत्रकारों को बताया कि प्रधानमंत्री से मुलाकात की शुुरुआत कुरान की तिलावत से की गई। आणंद (गुजरात) के जामा मस्जिद के इमाम मौलाना लुकमान तारापुरी ने तीन मिनट की तिलावत पढ़ी और फिर उसका हिंदी अनुवाद किया। इसका हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह था- हे ईश्वर, उन तमाम दुर्भावनाओं से बचा जो गलत कामों की तरफ मुझे ले जाता है…। प्रतिनिधिमंडल में बुद्धजीवियों के साथ देशभर के कई उलेमा भी थे |
इसी तरह 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर में बोहरा समाज की वाअज (प्रवचन) में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे । उन्होंने यहां शेफ़ी मस्जिद में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ‘बोहरा समाज से उनका गहरा रिश्ता रहा है। सैयदना साहब ने समाज के लिए जीने की सीख दी। बोहरा समाज दुनिया को भारत की इस ताकत से परिचित करा रहा है। शांति-सद्भाव, सत्याग्रह और राष्ट्रभक्ति के प्रति बोहरा समाज की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। दाऊदी बोहरा समुदाय काफी समृद्ध, संभ्रांत और पढ़ा-लिखा समुदाय है। ’ मोदी और सैफुद्दीन का मुलाकात के दौरान वहां बोहरा समाज के तमाम लोग भी नजर आए। सभी को मोदी ने हाथ जोड़कर नमस्कार किया। इस दौरान दौरान मोदी ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भारतीय अवधारणा के हवाले से कहा कि सबको साथ लेकर चलने की परंपरा को साकार रूप दिए जाने के सदियों पुराने सिलसिले के कारण दुनिया के नक्शे पर भारत का खास स्थान है। दाऊदी बोहरा समुदाय के एक प्रवक्ता के मुताबिक यह देश के इतिहास का पहला मौका था, जब कोई प्रधानमंत्री ‘अशरा मुबारक’ के धार्मिक प्रवचन के दौरान इस समुदाय के धर्मगुरु से मिलने किसी मस्जिद में पहुंचा हो। दाऊदी बोहरा मुख्यत: गुजरात के सूरत, अहमदाबाद, जामनगर, राजकोट, दाहोद, और महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे व नागपुर, राजस्थान के उदयपुर व भीलवाड़ा और मध्य प्रदेश के उज्जैन, इन्दौर, शाजापुर, जैसे शहरों और कोलकाता व चेन्नई में बसते हैं। इस दृष्टि से मोदी की कोशिश रही है कि विभिन्न राज्यों में मुस्लिम समुदाय का विश्वास जीतने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय के अलावा अन्य मंत्रालयों की कल्याण योजनाओं का लाभ अधिकाधिक मुस्लिम लोगों को भी मिले |
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