Home » झिंझिनी महल एक प्राचीन आदिवासी मंदिर खंडहर है जो समय की कसौटी पर सबसे कठोर तरीके से खरा उतरा है

झिंझिनी महल एक प्राचीन आदिवासी मंदिर खंडहर है जो समय की कसौटी पर सबसे कठोर तरीके से खरा उतरा है

  • -घने जंगल में बना यह मंदिरनुमा महल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

झिंझिनी महल, जंगल के अंदर छिपा एक प्राचीन आदिवासी मंदिर, अपने
आश्चर्यजनक प्राकृतिक परिवेश और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ एक
दिव्य और मंत्रमुग्ध अनुभव प्रदान करता है। मंदिर का निर्माण 7वीं
शताब्दी में बिना किसी कंक्रीट के उपयोग के एक के ऊपर एक रखी गई विशाल
चट्टानों का उपयोग करके किया गया था।

महल का इतिहास तो अज्ञात है। लेकिन जनश्रुति के अनुसार मंदिर पर सूर्य के
दृश्य दिखाई देते हैं, इसलिए माना जाता है कि यह सूर्यदेव के किसी उपासक
द्वारा बनाया गया होगा। यह भी बताया जाता है यह महल आदिवासीा राजाओं के
समय का हो सकता है। क्षेत्र के इतिहास की जानकारी रखने वाले पूर्व
नपाध्यक्ष अभिलाष सिंह चंदेल के अनुसार मंदिर शैव संप्रदाय को मानने वाले
किसी राजा का हो सकता है, क्योंकि यहां शिव व पार्वती की प्रतिमा है तथा
मंदिर का स्वरूप भी शिव को मानने वाले राजवंशों के काल में बने मंदिरों
की भांति है।

सतपुड़ा की वादियों से लेकर देनवा नदी के उत्तर में सोहागपुर शहर तक का
क्षेत्र और सोहागपुर से उत्तर में नर्मदा नदी तक का क्षेत्र पुरातत्व
महत्व की ऐतिहासिक सामग्री का भंडार है। खुदाई के दौरन विभिन्न प्रतिमाओं
का निकलना आज भी जारी है तथा क्षेत्र के 90 फीसदी मंदिरों या मढिय़ों में
खुदाई से निकली प्रतिमाएं दिखाई देती हैं।

Related News

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd