केंद्र सरकार मानसून सत्र में डाटा प्रोटेक्शन बिल लाने की कवायद में जुट गई है। सरकार ग्राहकों के डिजिटल हित को ध्यान में रखकर यह बिल लाएगी। सरकार का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से नौकरियों को कोई खतरा नहीं है। पर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एआई को रेगुलेट किया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर जल्द ही सरकार कानून बनाएगी। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि डिजिटल नागरिकों को नुकसान न पहुंचे। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल भी जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया बिल पर हितधारकों के साथ विचार-विमर्श इसी महीने शुरू होगा। सनद रहे कि सरकार ने 2019 में बिल (पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल) पेश किया था। इस पर संसद की संयुक्त समिति ने स्टेकहोल्डर्स के साथ काफी चर्चा की गई थी। इसके बाद सरकार ने सदन से इस बिल को वापस ले लिया। सरकार अब बिल के प्रारूप में परिवर्तन कर नए जरूरतों को जोड़ते हुए नए बिल के रूप में लाएगी। इसमें डिजिटल शब्द का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
वहीं राजीव चंद्रशेखर ने मोदी सरकार के 9 वर्ष की उपलब्धियां भी गिनाई। उन्होंने इस दौरान अपने मंत्रालय में हुए कामकाज का ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डिजिटल नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचता है। यह सुनिश्चित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को रेगुलेट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर विषाक्तता और आपराधिकता में काफी वृद्धि हुई है। लेकिन सरकार डिजिटल नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों को सफल नहीं होने देगी। उनके मुताबिक देश में 85 करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं। यह संख्या 2025 तक 120 करोड़ तक हो जाएगी। उन्होंने कहा कि 2014-15 में डिजिटल इकोनोमी का शेयर अर्थव्यवस्था में 3.5 प्रतिशत था जो आज बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2025-26 तक ये बढ़कर 20 प्रतिशत होने की उम्मीद है। हमारा टारगेट 2025-26 तक एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि आजकल डॉकिंग यानी बिना सहमति के इंटरनेट पर किसी व्यक्ति की निजी जानकारी पोस्ट करने जैसे अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है। इससे निपटने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम किया जाएगा।
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